बच्चे किसी भी देश के लिए सर्वोपरि - मनीष सिंह BSA

Pankaj Pandey
बलिया : बच्चे किसी भी देश के सर्वोच्च संपत्ति हैं। ऐसे में 6 से 14 वर्ष का कोई भी बच्चा बुनियादी शिक्षा से वंचित न रहे, इस पर बीएसए मनीष कुमार सिंह का पूरा फोकस है। इसी क्रम में मंगलवार को बीईओ वीरेन्द्र कुमार और उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों की टीम के साथ 

बीएसए शिक्षा क्षेत्र बेरुआरबारी में कुछ ईंट-भट्ठों पर पहुंच गये। बीएसए ने ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले गैर प्रांत के मजदूरों से बात कर अपने बच्चों का नामांकन पास के परिषदीय स्कूलों में कराने के लिए प्रेरित किया। समझाया कि शिक्षा क्यों जरूरी है।
 


बीएसए और शिक्षकों की पहल का असर यूं हुआ कि 25 बच्चों का नामांकन अभिभावकों ने प्राथमिक विद्यालय करमपुर नवीन पर कराया। अभिभावकों ने बीएसए को आश्वस्त किया कि आज के बाद अपने बच्चों को हम लोग पढ़ाएंगे। बीएसए ने भट्ठे पर ही बच्चों को खेल सामग्री, 


पुस्तक, कॉपी, कलर, बैग, बैट-बॉल आदि सामाग्री उपलब्ध कराया तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा। बीएसए ने अपने हाथों से बच्चों को टॉफी भी खिलाया और प्रतिदिन विद्यालय जाने के लिए प्रेरित किया। 



वहां से प्राथमिक विद्यालय करमपुर नवीन पहुंचे बीएसए ने मतदाता जागरूकता अभियान के तहत नए मतदाताओं को सम्मानित किया। वहीं, अधिक से अधिक मतदान करने के लिए शपथ दिलाया गया। बीएसए ने कहा कि जिले में इस तरह से अभियान चलाकर ईट-भठ्ठो पर कार्य करने वाले प्यारे बच्चों का अधिक से अधिक नामांकन कराया जाय, 

ताकि वे शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ सकें। बीएसए ने प्राथमिक विद्यालय करमपुर नवीन के प्रधानाध्यापक उमेश कुमार सिंह समेत विद्यालय परिवार के कार्यों की सराहना की। 

प्राथमिक विद्यालय करमपुर नवीन प्रधानाध्यापक उमेश कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा पद्धति में नवाचार शिक्षकों पर निर्भर करता है। शिक्षक नवाचार के द्वारा नवीन शिक्षण विधियों से बच्चों को उनके कौशल एवं प्रतिभा से अवगत करा सकते हैं, जिसका पालन विद्यालय परिवार करता रहा है। 

इस अवसर पर सतीश कुमार, संतोष गुप्ता, चंदेश्वर पांडे, रुस्तम अली, नवीन सिंह, अध्यक्ष मीना देवी, कुमुद तिवारी, प्रमिला, बुचिया देवी, नवीना आदि लोग उपस्थित रहे। प्रधानाध्यापक उमेश कुमार सिंह ने सबका आभार प्रकट किया।

बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने ईंट-भट्ठा व कुटीर उद्योग संचालकों से अपील किया है कि नाबालिग बच्चों से काम न लें। यदि उनके माता-पिता आपके यहां काम कर रहे हो तो बच्चों का नामांकन नजदीक के परिषदीय स्कूलों में कराना सुनिश्चित करें। 

बीएसए ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के माध्यम से भारत में 6 से 14 वर्षों की आयु के प्रत्येक बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, जिससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता।
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